आदर्श विद्या मन्दिर सिवाना में जिला स्तरीय गणित-विज्ञान मेले का आयोजन
नवाचार और प्रतिभा का अद्भुत संगम
सिवाना: विद्या भारती आदर्श शिक्षण संस्थान जिला बालोतरा द्वारा आदर्श विद्या मन्दिर माध्यमिक सिवाना में आयोजित जिला स्तरीय गणित-विज्ञान मेला बच्चों की प्रतिभा , कल्पनाशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अनूठा मंच साबित हुआ। जिले के 13 विद्यालयों से आए 250 छात्र-छात्राओं ने विज्ञान प्रश्न मंच ,गणित प्रश्न मंच, विज्ञान एवं गणित पर आधारित मॉडल, प्रयोग और नवाचार प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
गणित - विज्ञान मेले का शुभारंभ विद्या भारती जोधपुर प्रान्त के सह प्रान्त निरीक्षक व आदर्श शिक्षण संस्थान बालोतरा के जिला सचिव भगवतदान रतनू , माजीवाला संकुल प्रमुख विक्रम सिंह चौहान , मेला सयोंजक अजयसिंह परमार द्वारा माँ सरस्वती व भारत माता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । आदर्श विद्या मन्दिर माध्यमिक सिवाना के प्रधानाचार्य व मेला सयोंजक अजयसिंह परमार ने इस मेले के आयोजन के उद्देश्य को लेकर कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना और तकनीकी नवाचार के प्रति प्रेरित करना है। सिवाना खण्ड के मुख्य खण्ड शिक्षा अधिकारी श्रवण कुमार ने कहा कि छात्र-छात्राओं द्वारा आज बनाए गए मॉडल और प्रयोग इस बात का जीवंत प्रमाण थे कि सीमित संसाधन भी बड़े विचारों को जन्म दे सकते हैं। कहीं पर्यावरण संरक्षण पर मॉडल था, तो कहीं ऊर्जा बचत के उपाय दिखाए गए। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रस्तुतियों ने यह सोचने पर विवश किया कि नई पीढ़ी समाज की सभी समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम है।
कार्यकम के मुख्य वक्ता सह-निरीक्षक जोधपुर प्रान्त व जिला सचिव भगवत दान रतनू ने कहा कि “विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का हिस्सा है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे आस-पास की समस्याओं को विज्ञान और तकनीक से सुलझाने की कोशिश करें।”
मुख्य अतिथि सिवाना उपखण्ड अधिकारी सुरेन्द्र सिंह खंगारोत ने कहा कि यह मेला न केवल प्रतिस्पर्धा की भावना जगाता है , बल्कि विद्यार्थियों में सहयोग, अनुशासन और आत्मविश्वास भी भाव विकसित करता है। गणित - विज्ञान मेला बालको की प्रतिभा खोजने व वैज्ञानिक सोच विकसित करने का उत्तम अवसर हैं उन्होंने मेले का अवलोकन करते हुए छात्रों से सम्बंधित मॉडल पर प्रश्न किये । उन्होंने कहा कि आज मेले में बाल वैज्ञानिकों की प्रतिभा देखकर कहा कि मुझे भी अपना विद्यार्थी जीवन याद आया कि इसके लिए हम भी सदैव आगे बढ़ने का प्रयास करते थे ।
विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता दिव्या राजपुरोहित और विशिष्ट अतिथि प्रधानाचार्य अनिल कुमार सोनी ने कहा कि यह धरती सदैव से मेधावी प्रतिभाओं को जन्म देती रही है। यहाँ से निकले विद्यार्थी देश-विदेश में शिक्षा, तकनीक और शोध के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे ।
इस अवसर पर निर्णायक दल में किशनलाल जांगिड़ व्याख्याता रसायन विज्ञान , फरसाराम चौधरी व्याख्यता भौतिक विज्ञान , किशनलाल वर्मा व्याख्यता रसायन विज्ञान , कौलाराम व्याख्यता जीव विज्ञान , नरेश कुमार वैष्णव व्याख्यता गणित , मनोहर सिंह भायल व्याख्याता गणित सम्मिलित रहे। उन्होंने बच्चों के मॉडल्स का गहराई से अवलोकन किया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तार्किक आधार, उपयोगिता एवं रचनात्मकता को आधार मानकर मूल्यांकन किया। निर्णायकों ने माना कि विद्यार्थियों की जिज्ञासा और नवाचार भावना की प्रशंसा की । व्यवस्थापक व भोजन भामाशाह सतीश कुमार सोनी द्वारा आगन्तुकों व भामाशाहो का आभार व धन्यवाद प्रकट किया गया ।
कार्यक्रम का प्रतिवेदन जिला विज्ञान प्रमुख पुरखाराम चौधरी ने प्रस्तुत किया व परिणाम की घोषणा जिला गणित प्रमुख पदमाराम पालीवाल ने की।
गणित - विज्ञान मेले में सभी वर्गों में प्रथम व द्वितीय स्थान पर रहे प्रतिभागियों को पारितोषिक देकर कर सम्मानित किया गया। अतिथियों व निर्णायकों का साफा , दुपट्टे व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत - अभिनंदन किया गया । इस अवसर पर संरक्षक जीवराज वर्मा, व्यवस्थापक सतीश कुमार सोनी, सह व्यवस्थापक , देवाराम चौधरी, कोष प्रमुख खंगारराम बोस , सम्पर्क प्रमुख सुरेन्द सिंह भायल , मूलाराम जी चौधरी , मनोज महेश्वरी प्रधानाचार्य विक्रम सिंह चौहान माजीवाला नरेन्द्र व्यास मोकलसर , लालचन्द पालीवाल पचपदरा , , श्रवण कुमार समदडी , मनोहर लाल पाटोदी , सवाई सिंह कल्यापुर , राजेंद्र कुमार जसोल , रणछोडाराम बालोतरा विज्ञान आचार्य चन्दननाथ , गणित आचार्य मुकेश कुमार , सहित जिले के अनेक प्रधानाचार्य एवं आचार्य बंधु-भगिनी व बाल वैज्ञानिक भैया - बहन व अभिभावक उपस्थित रहे।
विज्ञान मेले की सार्थकता
यह मेला विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति, परिश्रम और वैज्ञानिक दृष्टि का अद्भुत संगम रहा। यहाँ प्रस्तुत प्रत्येक मॉडल इस संदेश को रेखांकित करता था कि विज्ञान और तकनीक ही भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आयोजन ने बच्चों को यह विश्वास भी दिलाया कि उनकी सोच समाज और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकती है।