कांग्रेस सिवाना विधानसभा में महिला प्रत्याशी पर आजमा सकते हैं दाव
सिवाना(बालोतरा): विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची में देरी दावेदारों के लिए पल-पल मुश्किल से बिताता नजर आ रहा है, तो वही इस बार भी सिवाना विधानसभा से भाजपा भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से हमीरसिंह भायल पर भरोसा जताते हुए तीसरी बार प्रत्याशी के रूप में मैदान में खड़े किये है तो वही तीसरी सूची में भी कांग्रेस सिवाना से अपने प्रत्याशी को खड़ा नहीं किया है।
कांग्रेस पार्टी में विधायक प्रत्याशी के दावेदारों में प्रमुख चेहरा इस बार सुनील परिहार बताया जा रहा है जो पिछले लंबे समय से जनता के साथ मैदान में जनता के काम करते देखे जा रहे हैं, कांग्रेस पार्टी और सीएम अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाने वाले सुनील परिहार की दावेदारी को मुख्य रूप से देखा जा रहा है, वही पिछले चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी रहे वालाराम चौधरी भी प्रबल दावेदारों हैं। वालाराम चौधरी पूर्व जिला प्रमुख के रूप में पद पर रहते जिले के कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के साथ अच्छे संबंध होने से इस बार टिकट की में कई बड़े नेता शामिल है जो चौधरी की दावेदारी की मजबूती से देखा जा सकता है साथ ही पार्टी में स्थानीय नेताओं द्वारा कुछ समय से बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने का विरोध करने वाले नेताओं द्वारा चौधरी की पैरवी में साथ खड़ा देखा जा सकता हैं बाहरी प्रत्याशियों का विरोध करने वाला खेमा इस बार भी वालाराम चौधरी के साथ इस बार भी नजर आ रहा है। गुट के नेताओं की माने तो दो बार बाहरी प्रत्याशी होने से सीट नहीं जीत पाए, इस स्थिति में पार्टी वालाराम चौधरी को मौका दे सकती है, मगर दिग्गज नेताओं की खींचतान और राजनीतिक दाव पेश तेज रहते हैं तो जानकारी की माने तो पार्टी तीसरे चेहरे पर दाव खेल सकती है, पार्टी के लिए तीसरा चेहरे के रूप में युवा एवं महिला प्रबल दावेदारों में गरिमा राजपुरोहित मानी जा रही है।
गरिमा राजपुरोहित लंबे समय से पार्टी में सक्रिय रूप से जनता के बीच देखी जा सकती है इस बार स्थानीय नेताओं की गुटबाजी से अलग अपनी राह पर हैं जो पार्टी के लिए काम करने की बात करती है। इस बार के स्थानीय नेताओं के गुटों में गरिमा नजर नहीं आना भी एक राजनीतिक दाव के रूप में देखा जा सकता है। पार्टी द्वारा महिला उम्मीदवार को लंबे समय से जिले की विधानसभा सीटों से टिकट नहीं दिया जा रहा है जो इस बात गरिमा के लिए मौका बन सकता है। पार्टी के लिए परिस्थितियों बदलता है तो सुनील परिहार और बलराम चौधरी को टिकट नहीं मिलता है तो पार्टी के लिए गरिमा राजपुरोहित एक विकल्प के रूप में साबित हो सकती है, जिसका दोनों गुटों से में विरोध नहीं है।
जनता की नब्ज टटोले तो इस बार सुनील परिहार को ही सपोर्ट करने का मानस बना रखा है पर जनता के साथ पार्टी भी असमंजस की स्थिति में है की दावेदार पर दाव खेला जाए।
