तिलवाड़ा (बालोतरा) :- श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान के अधीनस्थ मालाजाल स्थित श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत भव्य शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विद्वान पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना संपन्न करवाई गई। यह भव्य शिलान्यास कार्यक्रम श्री रावल मल्लीनाथ जी के वंशज, उन्हीं के 25वें गादीपति एवं संस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल के कर कमलों द्वारा किया गया।
शिलान्यास कार्यक्रम
शिलान्यास कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के धार्मिक पूजन जिसमें गणपति पूजन, षोडश मात्रिका पूजन, नवग्रह पूजन, पुण्यवाचन पूजन, वास्तु पूजन, नवशीला पूजन, यंत्र पूजन कार्यक्रम आयोजित हुए। तथा हवन, शीला स्थापन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। साथ ही श्री रावल मल्लीनाथ जी एवं श्री राणी रूपादे जी को विशेष भोग का अर्पण कर महाप्रसादी का वितरण किया गया।
इस शिलान्यास कार्यक्रम के साथ ही निर्माण कार्य का भी शुभारंभ हो गया, जो आगामी तकरीबन 1 वर्ष में पूर्ण होगा। इस कार्यक्रम में श्रदालुओं को नव निर्मित बनने वाले भव्य मंदिर जीर्णोद्धार की पोस्टर के माध्यम से जानकारी दी गई, जिससे उन्हें मंदिर की भव्यता की जानकारी मिले सकें।
दर्शन लाभ एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना
शिलान्यास के इस शुभ अवसर पर आस्था, भक्ति और दिव्यता का अद्वितीय नजारा देखने को मिला। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मालाजाल मंदिर आकर श्री रावल मल्लीनाथ जी के दर्शन लाभ लिए तथा अपने एवं अपने परिवार के उज्जवल भविष्य एवं खुशहाली को लेकर मंगल कामनाएं की। इस दौरान मंदिर परिसर में वैदिक धार्मिक मंत्रोचारणों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से सराबोर किया।
कार्यक्रम में राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्ण कुमार विश्नोई, पूर्व सांसद बाड़मेर - जैसलमेर एवं पूर्व विधायक (विधानसभा क्षेत्र शिव) मानवेंद्र सिंह जसोल, बाड़मेर रावत त्रिभुवन सिंह, सिणधरी रावल विक्रम सिंह, कोटड़ा राणा नरेंद्र सिंह, सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल, श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान, तिलवाड़ा प्र. उपाध्यक्ष कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल, पूर्व विधायक पोकरण शैतानसिंह राठौड़, भामाशाह समुद्रसिंह नौसर, दिलीप सिंह बुड़ीवाड़ा, पृथ्वी सिंह कोलू, पूर्व भाजपा बाड़मेर जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह खारा सहित मालाणी एवं आसपास के क्षेत्रों के अनेकों गणमान्य प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
मालाजाल का आध्यात्मिक महत्व
मालाजाल एक पावन तपोभूमि है, जहां 14वीं शताब्दी में संत शिरोमणि श्री रावल मल्लीनाथ जी एवं श्री राणी रूपादे जी के सान्निध्य में समकालीन संतों का समागम हुआ था। श्री रावल मल्लीनाथ जी ने अपनी सिद्धि से जाल की टहनी से तत्काल जाल का पेड़ उगाया, जो आज भी विद्यमान है और श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। लाखों भक्त यहां आकर अपनी मनोकामना पूर्ण करने एवं सुख-शांति की प्राप्ति हेतु पूजा-अर्चना करते हैं।
उपर्युक्त लिखित संत समागम से शुरू हुआ मेला, जो विगत 700 वर्षों से लगातार चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी से पंद्रह दिवसीय आयोजित होता है। कालांतर में यह मेला ‘श्री रावल मल्लीनाथ पशु मेला - तिलवाड़ा’ के नाम से प्रचलित हुआ, जो राजस्थान का सबसे प्राचीन, विश्व विख्यात एवं प्रतिष्ठित पशु मेला है।
इस ऐतिहासिक मेले में उस समय के समकालीन संत गुरु श्री उगमसी भाटी, संत शिरोमणि श्री रावल मल्लीनाथ जी एवं श्री राणी रूपादे जी, श्री रामदेवजी, गुरु भाई श्री मेघधारू जी, श्री जैसल जी एवं उनकी राणी तोरल (कच्छ-काठियावाड़, गुजरात), श्री राणा कुम्भा एवं उनकी राणी सौभाग्य देवी (मेवाड़), श्री हड़बूजी सहित अनेक संत सम्मिलित हुए थे।
श्री रावल मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय
रावल श्री मल्लीनाथ जी का जन्म महेवा नगर के शासक राव सलखा जी के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ। वे सिद्ध पुरुष, चमत्कारिक वीर योद्धा, मालाणी प्रदेश के संस्थापक, ‘मालाणी के महादेव’ और लोक मानस में ‘त्राता’ (रक्षक) के रूप में पूजनीय हैं। वे सामाजिक समरसता के प्रतीक एवं लाखों भक्तों के प्रेरणास्रोत हैं।
इस कार्यक्रम के माध्यम से मालाजाल के इस पावन स्थल के संरक्षण एवं विकास की नई शुरुआत हुई है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था और इतिहास का अमूल्य धरोहर साबित होगी।