कोटेश्वर धाम पर कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए 21 दिन किया यज्ञ हवन।
- देश और दुनिया में बढ़ते कोराना महामारी के संक्रमण को लेकर डब्ल्यूएचओ सहित तमाम प्रकार के चिकित्सा विभागों के महकमों में इस महामारी से बचाव को लेकर जतन किये जा रहे है तो वहीं कोटेश्वर धाम तीर्थ के गादीपति महाराज योगीराज सत्यमगिरीजी महाराज ने इस महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए 21 दिन तक यज्ञ हवन अनुष्ठान कर कामना की।
सिवाना(बाड़मेर): सिवाना क्षेत्र के पीपलून व गुड़नाल गांव में बने भव्य मंदिर कोटेश्वर धाम पर पिछले 21 दिनों से लगातार इस कोरोना महामारी में से आमजन के बचाव के लिए यज्ञ हवन के साथ धार्मिक अनुष्ठान कर संक्रमण से बचाव के लिए प्रभु से आराधना की जा रही है। श्रीश्री कोटेश्वर धाम तीर्थ के पवन प्रांगण में कोरोना महामारी के चलते इस संकट से मुक्ति व सभी के स्वस्थ रहने की आशा को लेकर श्री कोटेश्वर धाम के गादीपति योगीराज सत्यमगिरीजी महाराज के सानिध्य में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र व प्रतिदिन यज्ञाहुति का संकल्प 30 अप्रैल से शुरू किया गया था जो
21 दिन तक अनुष्ठान में सुन्दरगिरीजी महाराज व चेतानसिंह राजपुरोहित ,सुरेशकुमार राजपुरोहित और अर्जुनसिंह भायल की सहभागिता रही। वही धाम पर पूर्णाहुती 21 मई को संपन्न हुई।
वही स्वामी सत्यमगिरीजी महाराज ने बताया कि इस कोरोना महामारी में जो योद्धा के रूप में काम कर रहे चिकित्सा विभाग के कार्मिकों व पुलिसकर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस कोरोना महामारी में जैसी कई बीमारियां आदि काल से ही चली आ रही है जिसको लेकर हमारे ऋषि-मुनियों ने ऐसी महामारी से उबरने के लिए अपना योग, तप और यज्ञ के द्वारा ऐसी बीमारियों को ध्वस्त किया है जिसके वेद शास्त्र गवाह है इसी बीमारी से आमजन को निजात मिले जिसके लिए कोटेश्वर धाम पर 21 दिन का भव्य यज्ञ हवन अनुष्ठान कार्यक्रम रखा गया, वही महाराज ने बताया कि इस कोरोना संक्रमण की बीमारी में सभी लोगो को सोशल डिस्टेंस बनाए रखे साथ ही अपने मुंह पर मास्क लगाकर रखे और अपने हाथों को अच्छी तरह से धोते रहें ताकि इस संक्रमण से बचाव हो सके।
यज्ञ हवन को लेकर सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र व प्रतिदिन यज्ञाहुति का संकल्प पूर्ण होने के मौके पर
महन्त शिवगिरीजी महाराज मठ शेरगढ व सिवाना विधायक हमीरसिह भायल, श्रवण सिंह पिपलून, प्रेमसिंह भायल, पोलाराम देवासी ओर मादाजी सेवा समिति सदस्य तथा गुङानाल ,पिपलून व गढ सिवाणा सहित क्षेत्र के कोराना यौद्धाओ की उपस्थिति रही।