जसोल(बालोतरा) : श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान (जसोलधाम) में कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को विद्वान आचार्य तोयराज, जनेजय मिश्रा, वैदाचार्य दीपक भट्ट व पंडित नितेश त्रिपाठी के द्वारा विशेष पूजन अर्चन भगवान लक्ष्मीनारायण पूजनम, भगवान रुद्रपूजनम, विष्णुसस्त्रनाम पाठ, श्रीशुक्त के चौपन पाठ, दिपार्चनम कर वैदिक मंत्रोचार से देव दीपावली पर्व मनाया जा रहा हैं। इस दौरान मंदिर प्रांगण में दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ तथा देव दीपावली प्रिय भोग लगाते हुए जसोलधाम के समस्त भक्तों की ओर से संस्थान समिति सदस्य कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल द्वारा राष्ट्र उन्नति को लेकर मंगल कामनाएं की गई।
इस शुभ अवसर पर संस्थान समिति सदस्य कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल ने कहा कि दिपावली के 15 दिन बाद कार्तिक मास शुक्ल पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता धरतीलोक पर आते हैं. देव दीपावली पर नदी स्नान करने व दीपदान करने का विशेष महत्व है. देव दीपावली यानी देवताओं की दीपावली मनाए जाने को लेकर कई कथाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक प्रचलित कथा के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. नरकासुर का वध कर उन्होंने देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था. त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्त होने की खुशी में सभी देवताओं ने काशी में अनेकों दीप जलाकर उत्सव मनाए थे. इसलिए हर साल इसी तिथि में यानी कार्तिक पूर्णिमा और दिवाली के 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है. देव दीपावली या कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म का सबसे शुभ दिन होता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और दीपदान करते हैं. खासकर काशी और गंगा घाट किनारे इस दिन खूब दीपदान किए जाते हैं।
