शो पीस बना गैस सिलिंडर व चूल्हा, लकड़ी पर बन रहा खाना
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रिपोर्ट:अजहरुद्दीन
शाइन टुडे: महिलाओं को धुएं से निजात दिलाने को उज्ज्वला योजना में दिए गए गैस सिलेंडर और चूल्हे की आग महंगाई में ठंडी पड़ गई है गरीब परिवारों को नि:शुल्क सिलेंडर तो दे दिए गए, लेकिन गैस के दाम बढ़ने से लाभार्थी इन्हें रिफिल नहीं करा पा रहे हैं कोरोना काल में तीन सिलेंडरों की मुफ्त रीफिलिंग की गई. लेकिन बाद कीमतों में अचानक लगी आग ने गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए दो वक्त की रोटी बनाना मुश्किल कर दिया. महंगाई के चलते बड़ी तादाद में उपभोक्ता सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं. महंगाई और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने सरकार की धुआं मुक्त भारत की योजना को भी पलीता लगा दिया है दरअसल, उज्जवला योजना में दिए गए गैस सिलेंडर की कीमत में आई भारी उछाल के कारण यह आम लोगों के पहुंच से दूर होता जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप उज्जवला की चूल्हे की आग को महंगाई ने ठंडा कर दी है.
महंगाई ने तोड़ी कमर, लकड़ी और कोयले की अब आस
ऐसे में हालात में कई मध्यवर्गीय परिवारों ने महंगाई के कारण गैस के चूल्हे के स्थान पर लकड़ी और कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है. उपभोक्ता कह रहे हैं कि पहले आदत डाल दिया और अब गैस महंगी कर दी. परेशानी खत्म करने के बजाय बढ़ा रही है. सरकार सिलेंडर की कीमतों में लगातार वृद्धि से आम जनता पर बोझ बढ़ता जा रहा है. यह गरीब और मध्यमवर्ग के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है. गैस सिलेंडर के दामों में इजाफा उज्जवला योजना के 35 से 40 फीसदी लाभार्थियों नं फिर सिलेंडर नहीं भरवाया है।
सब्सिडी भी हो गया बन्द, पांच महीने से लगातार दाम, बढ़कर अब 920 रू हो गए
गैस रिफिल ना कराने की वजह लगातार सिलेंडर के दामों में हो रही वृद्धि है। आज अगर सिलेंडर भरवाते हैं तो उसके एवज में 920 रुपये देने पड़ते हैं। गैस के दामों में हो रही वृद्धि ने चूल्हे पर खाना बनाने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अभी पूरी तरह से खुला नहीं है और कोई काम भी नहीं चल रहा है। उनका कहना है कि गैस सिलेंडर तो फ्री दे दिया गया, लेकिन गैस की कीमत लगातार बढ़ रही हैं। पहले 765 रुपये का सिलेंडर भरा जाता था और आज 900 रुपये का सिलेंडर रिफिल कराने के लगते हैं। इस उमस भरी गर्मी में चूल्हे पर खाना बनाना पड़ता है। सरकार से मांग है कि गैस के दाम कम किए जाएं।
एलपीजी सिलेंडर के बढ़ते दामों को कम करने की अपील
उज्ज्वला योजना के तहत बाड़मेर जिले हजारों लोगों को गैस कनेक्शन फ़्री में दिए गए। ताकि लोग मिट्टी का चूल्हा छोड़ गैस पर खाना बनाए। अब यही गैस लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। जरीना बानो ने बताया कि मेहनत मजदूरी कर पैसे इकट्ठा करते हैं तब जाकर सिलेंडर भरता है। पैसे अगर पास में नहीं होते तो गैस सिलेंडर नहीं भरता है। उन्होंने बताया कि एक बार सिलेंडर भरता है तो करीब 1 महीने चलता है उसके बाद अगर पैसे होते हैं तो सिलेंडर भरवाते हैं। कभी-कभी तो 2 से 3 महीने गैस सिलेंडर रिफिल कराने में लग जाते हैं।