जीनगर समाज के शहीद, अमर शहीद बीरबल सिंह जीनगर की 75वीं पुण्यितिथि पर किया याद
मोकलसर /लतीफ खान
सिवाना में जीनगर समाज के प्रथम शहीद, अमर शहीद बीरबल सिंह जीनगर की 75वीं पुण्यितिथि पर मंगलवार 30 जून को जीनगर समाज सिवाना के जीनगर समाज के भवन में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान चंद जीनगर ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया वही साथ ही बस्ती के जीनगर समाज के लोगों के घरों में शहीद बीरबल सिंह को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर शहीद बीरबल सिंह जीनगर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। घर घर में अमर शहीद बीरबल सिंह जीनगर अमर रहे के नारे लगाये गए।
जीनगर समाज के किशन लाल ने कहा कि शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें देश की सेवा तथा समाज के विकास का काम करना चाहिये। वक्ताओं के अनुसार अमर शहीद बीरबल सिंह जीनगर ने समाज में चेतना की जो लौ जलाई है उसे हमेशा रोशन रखा जाएगा। वही कैलाश जीनगर ने बताया के तिरंगा यात्रा के दौरान हुए शहीद बीरबल जीनगर समाज के वीर सपूत जीनगर बीरबल सिंह ढालिया का जन्म रायसिंहनगर (श्रीगंगानगर) में जीनगर परिवार में हुआ। बीरबल सिंह बचपन से ही देश प्रेमी थे। 1942 के आजादी के आंदोलन के दौरान बीरबल सिंह बीकानेर प्रजा मंडल के सदस्य थे।
तब आंदोलन के दौरान बीरबल सिंह ने राज्यादेश की अवहेलना कर 30 जून को रायसिंह नगर में तिरंगा यात्रा निकाली आप जलूस के आगे तिरंगा हाथ मे लेके चल रहे थे। विरोधियों ने बीरबल सिंह की भुजा पे लाठियों का वार किया। गोलियों की बौछार हुई। 3 गोलियां बीरबल सिंह की जांघ में लगी। इस प्रकार 30 जून 1946 को बीरबल सिंह ने देश के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद होते समय भी उनके मुंह से समाज और देश के लिए अंतिम शब्द ये ही निकले थे “जाने ना पाये तिरंगे झंडे की शान, चाहें चली जाए मेरी जान”। इस अवसर पर भगवान चंद,किशन लाल,गणपत लाल,कैलाश जीनगर,जितेंद्र, मनोहर लाल,आदि कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।