बालोतरा के कपड़ा कारोबार को मिली सौगात, 18 एमएलडी प्लांट का केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने किया शुभारम्भ
बालोतरा(बाड़मेर): देश में पॉपलिन नगरी के नाम से विख्यात बालोतरा को प्रदूषण की लंबे समय से मार झेलनी पड़ी रही थी, आखिरकार मंगलवार को केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने 132 करोड़ की लागत से बने जेएलडीआरओ प्लांट का उद्धाटन कर राहत पहुंचाई।
बालोतरा के खेड़ा स्थित सीईटीपी सभागार में आयोजित हुए वर्चुअल कार्यक्रम में132 करोड़ की लागत से बने आरओ प्लांट का केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी व उधोग मंत्री परसादी लाल मीणा ने लोकार्पण किया। वर्चुअल कार्यक्रम में मंत्री अर्जुन बामनिया, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत मौजुद रहे। प्रदूषण की समस्या को लेकर एनजीटी की लम्बे समय से गाज गिर रही थी। ऐसे मे उधोगों को राहत पहुंचाने को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से बालोतरा में 132 करोड़ की लागत से आरओ प्लांट का कार्य शुरू किया गया। उल्लखेनीय है कि खेड़ रोड स्थित सीईटीपी ट्रस्ट के सामने बने 18 एमएलडी प्लांट का कार्य वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। 132 करोड़ की लागत से बने इस प्लांट का कार्य अब पूरा होने के साथ आज शुरू हो चुका है जो उधोगों के लिए संजीवनी बन कर उभरेगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि वंचित ओधोगिक इकाइयों को एक निश्चित टाइम लाइन में जोड़ कर शुरू करे। वे इकाइयों भी इस प्रोजेक्ट की हिस्सा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओधोगिक विकास को लेकर सीईटीपी ट्रस्ट कार्य कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जुड़ी सभी ओधोगिक इकाइयों से 1 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है। जो राष्ट्र की उन्नति व प्रदेश को सशक्त बनाने में लगे हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि बालोतरा में मौजूद टेक्सटाइल की छोटी छोटी इकाइयों को तकनीकी जानकारी के साथ उन्हें जोड़ते हुए शुभ शुरुआत करें। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से उधोगों को हर सम्भव सहयोग करने की बात कही। उधोग मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि पर्यावरण शुद्धि का संकल्प रखते हुए उधोगों का दायरा नही बढ़ रहा था। आज इस 18 एमएलडी आरओ के शुरू होने से स्थानीय उधोगों को नई कार्ययोजना के साथ शत प्रतिशत काम करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उधोगों को लेकर संवेदनशील है। जब भी उधोगों को लेकर कोई बात सामने आई उसका तुरन्त निराकरण किया। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा अब उधोगों को नया जीवन मिला है। क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर जो समस्या उत्पन्न हो रही थी अब उससे निजात मिलेगी। आरओ प्लांट से पानी का वापस उधोगों में जाना जिससे पर्यावरण के साथ प्रदूषण पर अंकुश लगेगा तथा 30 प्रतिशत चलने वाला कार्य अब शत प्रतिशत चलेगा।
पचपदरा विधायक मदन प्रजापत ने कहा कि ये बालोतरा के उधोगों को नया जीवन देने वाला प्लांट है। एक हजार से अधिक ओधोगिक इकाइयों से कपड़ा तैयार होकर देश के हर कोने में जाता है। प्रदूषण की समस्या को लेकर कई बार उधोगों को बंद करना पड़ा। अब इसके शुरू होने से राहत भरी बात है कि स्थानीय उधोगपति अब खुलकर अपना काम कर सकते है। सीईटीपी ट्रस्ट अध्यक्ष सुभाष मेहता ने कहा कि बालोतरा कपड़ा कारोबार के लिए यह प्लांट एक वरदान साबित होगा। इससे प्रदूषण की समस्या तो खत्म हाेगी ही साथ ही नए कारखाने खुलेंगे। वर्षों के लिए जिस सौगात के लिए तरस रहे थे, आज यह सपना पूरा हुआ है। अब 100 फीसदी कामकाज शुरू होगा। वहीं इसके अलावा करीब 200 से अधिक नई इकाइयां जुड़ेगी। साथ ही प्लांट में उपचारित 90 फीसदी को पुन: उपयाेग में लिया जा सकेगा। इससे कपड़ा कारोबार को और ऊंचाई मिलेगी। वहीं सैकड़ों श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।
आरओ प्लांट की ऐसे हुई नीव तैयार: वर्ष 2015 में एनजीटी के आदेश के बाद करीब 6 महीने तक यहां का कपड़ा व्यापार पूरी तरह से बंद रहा। इससे हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए। ऐसे में प्रदूषण की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में आईपीडीएस योजना में बालोतरा में 18 एमएलडी क्षमता का आर.ओ. प्लांट स्वीकृत किया था। केंद्र सरकार के 50 फीसदी व प्रदेश सरकार व सीईटीपी ट्रस्ट के 25-25 फीसदी लागत राशि से बनने वाले इस प्लांट का निर्माण कार्य कई वर्ष तक अटका रहा। आखिरकार 2018 में कार्य शुरु होने के बाद अब प्लांट पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है। परियोजना की कुल लागत 132 करोड़ रुपए है। इस परियोजना में मुख्यत अल्ट्रा फिल्ट्रेशन आरओ स्टेज-3, मल्टीपल इफेक्ट इवोपरेशन (एमईई) एवं सोलर इवोपरेशन पाॅण्ड (एसईपी) स्थापित किए गए हैं। परियोजना का निर्माण कार्य मैसर्स त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लि. द्वारा किया जा रहा है। इसने कोविड-19 की विषम परिस्थितियों के बावजूद समय पर निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है। इस परियोजना के प्रारम्भ होने के उपरांत क्षेत्र में भूजल दोहन में कमी आएगी तथा वस्त्र प्रसंस्करण के लिए केमिकल्स का उपयोग भी कम होगा एवं क्षेत्र में लम्बे समय से हो रही प्रदूषण सम्बन्धित समस्याओं से निजात मिलेगी।
अब इकाइयों में शत प्रतिशत कामकाज होगा शुरू: वर्तमान में सीईटीपी ट्रस्ट से 411 इकाइयां जुड़ी हुई है, जिनसे निस्तारित रासायनिक पानी को यहां ट्रीट किया जाता है। वहीं एनजीटी के आदेश के बाद इकाइयों में 40 फीसदी की कामकाज चल रहा है। इस 18 एमएलडी प्लांट के बनकर तैयार होने के बाद इकाइयों से निस्तारित पानी को पूरी तरह से ट्रीट किया जा सकेगा। वहीं 90 फीसदी उपचारित पानी पुन: उपयोग में लिया जा सकेगा। इसके साथ ही 200 से अधिक इकाइयां प्लांट से जुड़ेगी। जिससे सैकड़ों उद्यमियों के साथ हजारों श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।