रोजा और ड्यूटी दोनों फर्ज: पिस्ताक खां
- कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में कोरोना वॉरियर्स अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, इस बीच इस्लाम को मानने वाले 'कोरोना योद्धा' अपने लिये ओर देश के लिये दोहरा फर्ज निभा रहे हैै। पहला फर्ज अपने देश की सेवा करना दूसरा फर्ज धर्म के सिद्धांतों पर चलने हुए रोजा रखना।
रिपोर्ट: अजरुद्दीन मराड़ीया
शाइन टुडे@सिवाना न्यूज: सिवाना कस्बे के निवासी पिस्ताक खां जो सिवाना से 40 कि.मी. दूरी पादरू गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फर्स्ट कंपाउंडर (मेल नर्स) के पद पर कार्यरत है।पिस्ताक खां जो लागातार 24 घंटे मरीजों की देखभाल में बिता रहे हैं। अपनी सेवाओं के दौरान
15 घंटे का लंबा समय और रोजा, ऊपर से तेज गर्मी के साथ इबादत को भी पूरे मनोवृति से अंजाम दे रहे है।
फर्ज निभाने पर सुकून मिलता है:
कंपाउंडर पिस्ताक खां से मोबाइल पर हुई वार्तालाप में उन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म मुझे यह शिक्षा देता है कि, देशहित से बड़ा दुनिया मे कोई फर्ज नहीं है, इस संकट के समय में देश के लिए यह जी-जान से काम करना ही मेरा पहला फर्ज़ हैं, और पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज निभाना मेरा धर्म है.वही बताया कि रमज़ान (Ramadan) के मुकद्दस महीने में रोजा हर मुसलमान पर फर्ज हैं और यह फर्ज भी उतनी ही ईमानदारी से निभा रहा हूँ। वही पिस्ताक खां का कहना है कि इन दिनों अस्पताल में कोरोना वायरस महामारी को लेकर विशेष ख्याल रखा जा रहा है, मरीजों की सेवा से मानो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे रब मेरे रोजे को कबूल कर रहा है। इस तरह से मुझे बहुत सुकून मिलता है, वही बताया कि खुदा से दुआ करता हूँ कि देश से कोरोना का कहर हटे, सभी स्वस्थ रहें, कोरोना हारेगा हिंदुस्तान जीतेगा
फर्ज के लिए सब कुछ सह लेंगे
- गर्मी का मौसम ओर उस पर चिलचिलाती धूप और, आम इंसान एक मिनट भी प्यासा नहीं रह सकता, ऐसे समय में रोजा रखने के साथ अपनी ड्यूटी करना, अपने आप मे दो-दो कड़ी परीक्षाओं से गुजरना है। लेकिन पिस्ताक खांन इस संकट की घड़ी में 24 घंटे अपनी सेवाएं देकर अपना फर्ज निभा रहे हैं।