जसोल, राजस्थान। वैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल में भव्य धार्मिक आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में विशेष पूजा अर्चना की गई तथा श्री राणीसा भटियाणीसा सहित मंदिर प्रांगण स्थित समस्त मंदिरों में छप्पन भोग अर्पित कर श्रद्धालुओं ने पुण्य लाभ प्राप्त किया।
पारंपरिक रीति-रिवाज, विधि-विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विद्वान पंडितों द्वारा पूजा संपन्न करवाई गई। इस पावन पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां जसोल के दरबार में पहुंचकर दर्शन लाभ लिया। साथ ही श्रदालुओं ने श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी एवं श्री काला-गौरा भेरुजी के मंदिरों के दर्शन लाभ लेते हुए अपने जीवन में खुशहाली को लेकर मंगल कामनाएं की।
अक्षय तृतीया के इस अतिविशेष दिवस पर छप्पन भोग का लाभ विकास सावना सुपुत्र छोटमल सावना, निवासी फलौदी द्वारा लिया गया। लाभार्थी परिवार ने जसोलधाम प्रांगण स्थित समस्त मंदिरों में छप्पन व्यंजनों के भोग का अर्पण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
कन्या पूजन
छप्पन भोग के लाभार्थियों ने जसोल ग्राम सर्व समाज की कन्याओं एवं बटुकों का पूजन कर उन्हें फल प्रसादम एवं अन्न प्रसादम करवाकर उन्हें दक्षिणा देकर पुण्य लाभ लिया।
अक्षय तृतीया का महत्व:
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि अत्यंत शुभ और पुण्यदायी मानी जाती है। "अक्षय" शब्द का अर्थ होता है – जिसका कभी क्षय न हो, अर्थात् यह दिन अक्षय पुण्य, धन और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य, जैसे – विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, दान-पुण्य अथवा धार्मिक आयोजन बिना मुहूर्त के भी किए जा सकते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान परशुराम का जन्म, गंगा अवतरण, तथा महाभारत के युग में श्रीकृष्ण द्वारा पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान करना जैसी अनेक दिव्य घटनाएं घटी थीं। इसलिए यह दिन श्रद्धा, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर आयोजित इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम ने भक्तों को आस्था और श्रद्धा से ओतप्रोत कर दिया, और पूरे दिवस जसोलधाम परिसर में धार्मिक उत्साह का वातावरण बना रहा।