मन्दिर प्रेस प्रवक्ता नकल सिंह धवेचा ने बताया कि परम् पूज्य गुरूवर हेतगीरी महाराज के आदेशानुसार अधिक मास के तहत श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को मन्दिर में भोजन प्रसादी का आयोजन किया जा रहा है, इस पूण्य लाभ में प्रथम सोमवार को नकल सिंह धवेचा ईन्द्राणा व द्वितीय सोमवार को सुरेश सिंह राजपुरोहित सिणेर तथा आज तिसरे सोमवार को सिणेर सरपंच बख्तावर सिंह धवेचा, की तरफ से भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई। इस अवसर पर मन्दिर के कार्यकर्ताओं द्वारा दर्शर्नार्थीयो की तन मन से सेवा की जा रही है , गुरूवर हेतगीरी महाराज के सानिध्य में यह सारा आयोजन गुरुदेव के परम् शिष्य गोवर्धन गीरी महाराज व शौपगीरी महाराज की देखरेख में हो रहा है, इस अवसर पर दुर दराज से आए भक्तों ने आज तीसरे सोमवार को भगवान शंकर व मां मातेश्वरी राजराजेश्वरी श्री मां अन्नपूर्णा जी के दर्शन लाभ प्राप्त किये, इस विशाल जन समूह के साथ भगवान शंकर व मां अन्नपूर्णा जी के गगनभेदी जयकारों से छप्पन की पहाड़ियों में विराजमान मां मातेश्वरी के मन्दिर क्षैत्र को गुंजायमान कर दिया, इस अवसर पर बाडमेर बालोतरा सिवाना पादरू, धारणा, सिणेर, जसोल,वालियाना, कुण्डल,सैला,आदि दुर दराज से सैकड़ों की संख्या में भक्तों का रैला एक विशाल मैले के रुप में परिवर्तित हो गया। इस अवसर ठाकुर साहेब भंवरसिंह धवेचा सिणेर,मांग सिंह वालीयाना,नाथु सिंह वालीयाना, बलवंत सिंह सिणेर,नकल सिंह धवेचा ईन्द्राणा, श्याम सिंह धवेचा सिणेर, वालाराम देवासी नरपत देवासी मागाराम देवासी सिणेर,गोरखपुरी हिंगलाज,दिपाराम माली सिवाना, गोवर्धनराम माली धारणा, मदन सिंह दौलत सिंह मुकन सिंह धवेचा सिणेर, जगदीश भाई देवासी पीपलूण,आदि कई भक्तजनो ने परम् पूज्य गुरुवर हेतगीरी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त कर ज्ञान चर्चाएं की , इस पूनीत पावन दिवस पर गुरूवर हेतगीरी महाराज ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा की इंसान जाती से ना पैसों से बड़ा होता है इंसान तो अपने अच्छे सद्कर्मों से बड़ा बनता है यही सद्कर्मों का रास्ता सभी भक्तों को अपनाना चाहिए, जिससे अपने इस मानव रुपी शरीर का कल्याण हो सकें,भक्तिभाव व तीर्थाटन के साथ साथ इंसान को दान पुण्य में भी सबसे आगे रहना चाहिए जिससे आने वाली पीढीयों तक इसके फलो की प्राप्ति होती है, मनुष्य को इस घौर कलयुग से बचने के लिए हमेशा सदमार्ग अपनाते हुए गोमाता की सेवा व नितनेम हमेशा करने से हमारे घर के नन्हे मुन्ने कीका बाल गोपालो को भी यही संस्कार सिखने को मिलते हैं , जिससे यही बच्चे आगे जाकर बड़े होकर संस्कारवान बनते हैं , हमारे सनातन धर्म की जड़ें इन्हीं कीका बाल गोपालो से ही हमें मजबुत करनी होगी, और अंत में गुरुदेव श्री ने सभी भक्तों से कहा कि हमें प्रतिदिन सुबह नहीं तो शाम को कम से कम एक घंटा अपने घर परिवार के नन्हे मुन्ने किका बाल गोपालो को पास में बिठाकर ज्ञान चर्चा धर्म चर्चा हो सके तो सनातनी शास्त्रो की चर्चा करने से बच्चों में सनातन धर्म की जानकारी बढ़ानी चाहिए, एवं रोजाना अपने बच्चों को शाम के समय अपने किसी नजदीकी मन्दिर की आरती दर्शन की आदत डालनी चाहिए, तभी हमारे बच्चे संस्कारवान बनेंगे , बच्चों को संस्कारवान बनाना व बिगाड़ना यह हमारे ही हाथ में है , हम इधर उधर की बिना फालतू की बातों में समय व्यतीत कर देते हैं परंतु बच्चों की तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता है, धर्म की यह शिक्षा हमें ही देनी चाहिए क्योंकि यह संस्कारवान सनातनी शिक्षा स्कुलो में नहीं दी जाती है , स्कुलो में तो सिर्फ किताबी मिलता है बच्चों को, यह सनातनी धर्म की शिक्षा तो हमें ही देनी पड़ेगी , तभी हमारा धर्म मजबुत बनेगा और बच्चे संस्कारवान बनेंगे, अंत में गुरुवर ने सभी भक्तों को शुभ मंगलकामनाएं व आशीष दी।